इसे सुनेंरोकें1986 में, राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने शिक्षा पर एक नई राष्ट्रीय नीति पेश की। नई नीति ने असमानताओं को दूर करने और विशेष रूप से भारतीय महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति समुदायों के लिए शैक्षिक अवसरों को समान करने पर विशेष बल देने का आह्वान किया।
शैक्षिक समावेशन से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा में समावेशन का अर्थ है कि सभी बच्चों की शिक्षा एक साथ एक ही विद्यालय में हो । कक्षा में प्रत्येक बच्चा बहुत विशिष्ट ढंग से सीखता है । कक्षा एक छोटा सा समाज होता है, जहाँ सभी प्रकार के बच्चे होते हैं । जैसे : बुद्धिमान, सुस्त, भावात्मक रूप से बुद्धिमान, प्रतिभाशाली, मानसिक व शारीरिक रूप से अक्षम आदि ।Cached
समावेशी विद्यालय में क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंसमावेशी शिक्षा का अर्थ है स्कूल में सभी बच्चों के लिए शिक्षा, क्योंकि यह शिक्षा प्रणाली में सभी बच्चों को शामिल करने के लिए संदर्भित करता है, भले ही उनके मतभेद और अक्षमताएं हों। यह विविधता को महत्व देता है, प्रत्येक बच्चा कक्षा में लाता है और सभी को सीखने और बढ़ने के समान अवसर प्रदान करता है।
समावेशी शिक्षा कब लागू हुआ?
इसे सुनेंरोकेंमाध्यमिक स्तर पर नि:शक्तजन समावेशी शिक्षा योजना (ईडीएसएस) वर्ष 2009-10 से प्रारम्भ की गई है। यह योजना नि:शक्त बच्चों के लिए एकीकृत योजना (आईईडीसी) संबंधी पहले की योजना के स्थान पर है और कक्षा IX-XII में पढने वाले नि:शक्त बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करती है।
भारत में समावेशी शिक्षा कब शुरू हुई थी?
इसे सुनेंरोकेंसरकार ने दिसंबर 1974 में विकलांग बच्चों के लिए एकीकृत शिक्षा (IEDC) योजना शुरू की। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना थी जिसका उद्देश्य नियमित स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) को शैक्षिक अवसर प्रदान करना और उनकी उपलब्धि और ठहराव को सुविधाजनक बनाना था।
समावेशी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसमावेशी शिक्षा सभी छात्रों को बाधा-मुक्त पहुंच प्रदान करती है। सभी प्रकार के छात्रों को एक ही छत के नीचे अधिगम का अधिकार है, चाहे वे पिछड़े हो, हाशिए पर हो, या अक्षम वर्गों से हो या चाहे वे प्रतिभाशाली, सृजनात्मक, आलोचनात्मक विचारक, आदि हो।
समावेशन के 3 प्रकार क्या हैं?
इसे सुनेंरोकेंविकलांग छात्रों को मुख्यधारा की कक्षाओं में शामिल करने के तीन मुख्य मॉडल हैं पूर्ण समावेश, आंशिक समावेश और मुख्यधारा ।
समावेशी विद्यालय के उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करना। अनेकता में एकता को बढ़ावा देना। जाति, लिंग, अक्षमता, चिकित्सा या अन्य आवश्यकताओं के बावजूद सभी छात्रों को शामिल करना। छात्रों को उनकी प्रतिभा, प्रदर्शन आदि के आधार पर वर्गीकृत नहीं करना।
सर्व-समावेशी बुनियादी क्या है?
समावेशी शिक्षा में किसकी आवश्यकता है?
इसे सुनेंरोकेंसमावेशी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को उनके प्रदर्शन पर अलग-अलग नामों से अंकित किए बिना उन्हें शिक्षित करना और अधिगम में उनकी मदद करना है। मानक मानकों को लागू किए बिना सभी शिक्षार्थियों को स्वीकार करना। चुनौतीपूर्ण, पिछड़े, दिव्यांग बच्चों सहित सभी के लिए समान शिक्षा।
समावेशन के तीन प्रकार क्या हैं?
इसे सुनेंरोकेंविकलांग छात्रों को मुख्यधारा की कक्षाओं में शामिल करने के तीन मुख्य मॉडल हैं पूर्ण समावेश, आंशिक समावेश और मुख्यधारा ।
समावेशी शिक्षा से क्या लाभ है?
- यह किसी भी छात्र को पूरक सहायता प्राप्त करने से छूट नहीं देता है, जो कभी-कभी आवश्यक होता है, लेकिन मुख्य उद्देश्य समानता प्राप्त करना है।
- समावेशी शिक्षा छात्रों के अंतर, विविधता और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को पहचानने के साथ-साथ छात्रों की जरूरतों की स्वीकृति और समझ को बढ़ावा देती है।
समावेशी शिक्षा में सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंयह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक बच्चे को अपनी क्षमता का एहसास करने का अवसर मिले। कक्षा के लिए योजना बनाना ताकि हर बच्चा उसी गति से आगे बढ़े। बच्चों के माता-पिता के व्यवसाय का पता लगाना ताकि शिक्षक को पता चले कि प्रत्येक बच्चे का भविष्य क्या होगा।
समावेश के चार 4 प्रमुख तत्व क्या हैं?
इसे सुनेंरोकेंसमावेशन की चार प्रमुख विशेषताएं हैं जिनका उपयोग अपेक्षाएं निर्धारित करने और स्कूलों और प्रारंभिक शिक्षा और बाल देखभाल सेटिंग्स में समावेशी अभ्यास का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है। ये मौजूद हैं, भाग ले रहे हैं, हासिल कर रहे हैं और समर्थित हैं ।
समावेशन कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसमावेशन के दो उप-प्रकार हैं: पहले को कभी-कभी नियमित समावेशन या आंशिक समावेशन कहा जाता है, और दूसरे को पूर्ण समावेशन कहा जाता है। समावेशी अभ्यास हमेशा समावेशी नहीं होता बल्कि एकीकरण का एक रूप है।
समावेशी विद्यालय की क्या विशेषता है?
इसे सुनेंरोकेंसमावेशी विद्यालय सभी अभिभावकों विशेषकर दिव्यांग बालकों के अभिभावकों को विद्यालय की सभी आवश्यक गतिविधियों में सम्मिलित करना। समावेशी विद्यालय के स्टॉफ द्वारा समावेशी बालकों के साथ निरन्तर संवाद रहना। समावेशी बालकों की आवश्यकता एवं सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए विद्यालय में आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना ।
समावेशी शिक्षा भारत में कब लागू हुआ?
इसे सुनेंरोकेंमाध्यमिक स्तर पर नि:शक्तजन समावेशी शिक्षा योजना (ईडीएसएस) वर्ष 2009-10 से प्रारम्भ की गई है। यह योजना नि:शक्त बच्चों के लिए एकीकृत योजना (आईईडीसी) संबंधी पहले की योजना के स्थान पर है और कक्षा IX-XII में पढने वाले नि:शक्त बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करती है।
समावेशन का मुख्य तत्व क्या है?
इसे सुनेंरोकेंKey Points समावेशन के बुनियादी सिद्धांत: सभी के लिए समानता और समान अवसर। अच्छी तरह से शैक्षिक योजना का निर्माण करना। व्यक्तिगत भिन्नताओं की स्वीकृति।