इसे सुनेंरोकेंSoron is believed to be the birth place of great Indian poet TULSI DAS who had composed RAMCHARITMANAS in the praise of lord Ram . सोरों के कुंड के पास भगवान हनुमान का एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है जो श्री लाडू वाले बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर के पास श्री वराह भगवान का मंदिर है।
सूर्य सेन की क्रांतिकारी आंदोलन में क्या भूमिका थी?
इसे सुनेंरोकेंसूर्य सेन (22 मार्च 1894 — 12 जनवरी 1934) भारत की स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। उन्होने इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की और चटगांव विद्रोह का सफल नेतृत्व किया। वे नेशनल हाईस्कूल में सीनियर ग्रेजुएट शिक्षक के रूप में कार्यरत थे और लोग प्यार से उन्हें "मास्टर दा" कहकर सम्बोधित करते थे।
सौरव जी कौन से राज्य में है?
सोरों
सोरों शूकरक्षेत्र तीर्थस्थल | |
---|---|
निर्देशांक:27.88°N 78.75°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
जिला | कासगंज |
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कासगंज में कौन सी चीज मशहूर है?
पर्यटक स्थल
- घंटा घर मुरलीधर घंटा घर, उनके पिता श्री मुरलीधर अग्रवाल की याद में लाला दयाल जी ने बनवाया था। …
- लक्ष्मी गेट यह कासगंज रेलवे जंक्शन के रास्ते रोडवेज बस स्टैंड के रास्ते में स्थित है। …
- नदरई ब्रिज इसे झाल ब्रिज भी कहा जाता है। …
- हरि की पौड़ी …
- भीमसेन घंटा
मथुरा से सोरों कितने किलोमीटर?
इसे सुनेंरोकेंमथुरा जंक्शन से सोरों शुकर क्षेत्र तक पहुँचने के लिए 117 कि. मी. की दूरी करनी पड़ती है।
सूर्य सेन को फांसी क्यों दी गई?
इसे सुनेंरोकेंहालाँकि, उन्हें नेत्र सेन नाम के एक व्यक्ति ने धोखा दिया, जिसके घर में वह छिपे हुए थे और फरवरी 1933 में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बाद में विश्वासघात का बदला लेने के लिए अन्य क्रांतिकारियों द्वारा नेत्र सेन की हत्या कर दी गई। 12 जनवरी 1934 को फाँसी दिए जाने से पहले सूर्य सेन को पुलिस द्वारा क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया था।
सूर्य सेन को किसने प्रताड़ित किया?
इसे सुनेंरोकेंइस हमले के बाद अंग्रेजों ने क्रूर दमन किया, जिसके परिणामस्वरूप 'मास्टर दा' को फाँसी दे दी गई। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेज इतने क्रोधित थे कि उन्होंने सेन को फाँसी देने और समुद्र में दफनाने से पहले पहले यातनाएँ दीं। सेन के शरीर के साथ कई दिनों तक क्रूरता बरती गई और जब उन्हें फाँसी दी गई तो वह बेहोश थे।
कासगंज का पुराना नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमुगल और ब्रिटिश काल के दौरान कासगंज को “तनय” या “खासगंज” भी कहा जाता था। कासगंज अलीगढ़ मण्डल के अधिकार क्षेत्र में आता है। जिला 17 अप्रैल, 2008 को एटा जिले को विभाजित करके इसे बनाया गया था और इसका नाम कांशीराम नगर रखा गया था।
कासगंज में किसका जन्म हुआ था?
इसे सुनेंरोकेंबता दें कासगंज जिले का पटियाली गांव अमीर खुसरो की जन्मभूमि है। आज यह कासगंज की एक तहसील है। कासगंज के एटा से अलग होकर जिला बनने तक यह एटा का हिस्सा था।
मथुरा से वृंदावन कितने घंटे का रास्ता है?
इसे सुनेंरोकेंमथुरा से वृंदावन तक की यात्रा आसानी से एक बस द्वारा 23 घंटे में तय की जाती है।
टुलम में सेनोट कितने गहरे हैं?
दिल्ली से मथुरा कितने घंटे का रास्ता है?
इसे सुनेंरोकेंदिल्ली से मथुरा-वृंदावन की दूरी करीब 182 किलोमीटर है। यहां आप 3 घंटे के ड्राइव में पहुंच सकते हैं।
सूर्य सेन का उपनाम क्या था?
इसे सुनेंरोकेंअविभाजित बंगाल के चटगांव चिट्टागोंग अब बांग्लादेश में में स्वाधीनता आंदोलन के अमर नायक बने सूर्यसेन उर्फ सुरज्या सेन का जन्म 22 मार्च, 1894 को हुआ था। क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी सूर्यसेन को द हीरो ऑफ चिट्टागोंग के नाम से भी जाना जाता है।
कासगंज में क्या फेमस है?
पर्यटक स्थल
- घंटा घर मुरलीधर घंटा घर, उनके पिता श्री मुरलीधर अग्रवाल की याद में लाला दयाल जी ने बनवाया था। …
- लक्ष्मी गेट यह कासगंज रेलवे जंक्शन के रास्ते रोडवेज बस स्टैंड के रास्ते में स्थित है। …
- नदरई ब्रिज इसे झाल ब्रिज भी कहा जाता है। …
- हरि की पौड़ी …
- भीमसेन घंटा
वृंदावन की परिक्रमा कितने किलोमीटर की है?
इसे सुनेंरोकेंइस परिकमा में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े स्थल, सरोवर, वन, मंदिर, कुण्ड आदि का भ्रमण किया जाता है। यह सम्पूर्ण यात्रा लगभग 360 किमी० की है, जिसे यात्री / श्रद्वालु पैदल भजन-कीर्तन एवं धार्मिक अनुष्ठान करते हुए लगभग 40 दिनों में पूरा करते है।
वृंदावन कितने दिन में घूम सकते हैं?
इसे सुनेंरोकेंमथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, गोवर्धन धाम जैसे स्थान धार्मिक महत्व रखते हैं और इन स्थानों के दर्शन के लिए अधिकतर दर्शनार्थी तीन दिन से लेकर सात दिन तक का समय लगा सकते हैं। अगर आप दर्शन के लिए एक सप्ताह रखना चाहते हैं तो आप सभी स्थानों के दर्शन कर सकते हैं।
दिल्ली से मथुरा रोडवेज का किराया कितना है?
दिल्ली से मथुरा बस सेवाएं
औसत बस अवधि | : 2 hours 52 mins |
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दूरी | : 183 km |
सबसे सस्ता बस टिकट | : INR 262 |
सबसे पहली बस | : 06:30 |
आखिरी बस | : 23:59 |
दिल्ली से वृंदावन का बस का किराया कितना है?
दिल्ली से वृंदावन बस सेवाएं
औसत बस अवधि | : 2 hours 53 mins |
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सबसे सस्ता बस टिकट | : INR 262 |
सबसे पहली बस | : 06:00 |
आखिरी बस | : 23:55 |
दैनिक बस सेवाएं | : 44 |
सूर्य सेन को कहां फांसी दी गई थी?
इसे सुनेंरोकेंचटगांव सेंट्रल जेल में फांसी का तख्ता, जहां सेन को फांसी दी गई थी। बांग्लादेश सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक स्मारक नामित किया है।
सूर्य सेन की मृत्यु कब हुई?
इसे सुनेंरोकेंसूर्य सेन का जन्म 22 मार्च 1894 को हुआ था और उन्हें 12 जनवरी, 1934 को फांसी दी गई थी.
कासगंज के आईपीएस कौन है?
POLICE LINE
S.No | Name Of Officer | Rank |
---|---|---|
1 | RAVINDRA KUMAR MALIK | INSPECTOR |