रेल स्क्वील एक ट्रेन-ट्रैक घर्षण ध्वनि है, जो आमतौर पर तेज मोड़ पर होती है। चीख़ संभवतः रेल ट्रैक के शीर्ष पर पहियों के पार्श्व चिपकने और फिसलने के कारण होती है। इसके परिणामस्वरूप पहिये में कंपन होता है जो एक स्थिर आयाम तक पहुंचने तक बढ़ता रहता है।
रेलवे इंजन के पहिए के पास बने डिब्बे में रेत क्यों डाली जाती है?
लोकोमोटिव (रेल इंजन) में रेत भरी जाती है ताकि पहियों और पटरियों के बीच घर्षण बढ़ाया जा सके। यह तब उपयोगी होता है जब पटरियां गीली या बर्फीली होती हैं, जिससे पहियों के लिए पकड़ना मुश्किल हो जाता है। रेत को पहियों के सामने पटरियों पर फेंककर घर्षण बढ़ाया जाता है, जिससे ट्रेन को आगे बढ़ना आसान हो जाता है।
ट्रेन के पहियों पर भार क्यों डाला जाता है?
ट्रेन का इंजन कितने किलो का होता है?
ट्रेन को चलाने की जिम्मेदारी इंजन की होती है क्योंकि पूरी ट्रेन इंजन की मदद से ही चलती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के इंजन का वजन कितना होता है. अगर आपको नहीं पता तो हम आपको बता दें कि ट्रेन के इंजन का वजन करीब एक लाख 96 हजार किलो होता है.
रेल इंजन को बंद क्यों नहीं किया जाता?
अगर इंजन को बंद कर दिया जाए तो प्रेशर बनने में और लंबा टाइम लगेगा. इंजन को बंद कर के केवल स्टार्ट करने में ही 20 मिनट लग जाते हैं. इसलिए इंजन को जल्दी बंद नहीं किया जाता है. इसका एक और कारण यह है कि रेल इंजन को बंद कर देने से लोकोमोटिव इंजन फेल होने का खतरा रहता है.
ट्रेन 1 मिनट में कितना डीजल खाती है?
रेलवे की सवारी गाड़ी यानी पैसेंजर ट्रेन को 1 किलोमीटर दूरी तय करने में 5-6 लीटर डीजल लगता है. इसकी वजह है कि इस ट्रेन को बार-बार कई स्टेशनों पर रुकना होता है. वहीं, 12 डिब्बों वाली एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन को 1 किलोमीटर का माइलेज देने के लिए करीब 4.5 लीटर डीजल चाहिए होता है.