इसे सुनेंरोकेंमूल वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में ऐतिहासिक ट्विन टावर थे, जो 4 अप्रैल, 1973 को खुले थे और 2001 के 11 सितंबर के हमलों में नष्ट हो गए थे।
ट्विन टावर्स में कौन सी नौकरियां थीं?
इसे सुनेंरोकेंकई लोग वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में कई पेशेवर क्षेत्रों में काम करने आए, विशेष रूप से बैंकिंग, वित्त, बीमा, कानून, विनिर्माण, व्यापार और सरकार। अन्य लोग अपने दैनिक आवागमन के दौरान परिसर से होकर गुजरते थे।
क्यों ट्विन टावर नष्ट हो गया?
इसे सुनेंरोकेंट्विन टावर के निर्माण में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया गया। सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में जब लोगों ने फ्लैट खरीदा तो ट्विन टावर के स्थान पर ग्रीन एरिया का वादा किया गया था। सुविधाओं को देखते हुए खरीदारों ने एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट में फ्लैट बुक कराए।
ट्विन टावर को क्यों तोड़ा गया?
इसे सुनेंरोकेंइसके निर्माण के समय सुपरटेक ट्विन टावर्स की कीमत करीब 200-300 करोड़ रुपये थी। सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी नियमों का पालन न करने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया। दरअसल, सुपरटेक की इस प्रॉपर्टी पर करीब डेढ़ दशक से विवाद चल रहा है।
ट्विन टावर्स का आखिरी टुकड़ा कब हटाया गया था?
ट्विन टावर नोएडा क्यों तोड़ा जा रहा है?
इसे सुनेंरोकेंइसके निर्माण के समय सुपरटेक ट्विन टावर्स की कीमत करीब 200-300 करोड़ रुपये थी। सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी नियमों का पालन न करने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया। दरअसल, सुपरटेक की इस प्रॉपर्टी पर करीब डेढ़ दशक से विवाद चल रहा है।
नोएडा के ट्विन टावरों को क्यों तोड़ा गया?
इसे सुनेंरोकेंयाचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सुपरटेक समूह ने अधिक फ्लैट बेचने और अपने लाभ मार्जिन को बढ़ाने के लिए मानदंडों का उल्लंघन किया । तदनुसार, 2014 में, अदालत ने प्राधिकरण को आदेश दायर होने की तारीख से चार महीने के भीतर (अपने स्वयं के खर्च पर) टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया।
ट्विन टावर क्यों गिराया?
इसे सुनेंरोकेंइसके निर्माण के समय सुपरटेक ट्विन टावर्स की कीमत करीब 200-300 करोड़ रुपये थी। सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी नियमों का पालन न करने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया।
ट्विन टावर का विवाद क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसुपरटेक ट्विन टावर गिराने का खर्च सुपरटेक कंपनी ने उठाया। इसके निर्माण के समय सुपरटेक ट्विन टावर्स की कीमत करीब 200-300 करोड़ रुपये थी। सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी नियमों का पालन न करने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया। दरअसल, सुपरटेक की इस प्रॉपर्टी पर करीब डेढ़ दशक से विवाद चल रहा है।