मंदिर में जाने से पहले क्या करना चाहिए?

मंदिर में जाने के पहले…भविष्य पुराण के अनुसार जब पूजा की जाए तो आचमन पूरे विधान से करना चाहिए। जो विधिपूर्वक आचमन करता है, वह पवित्र हो जाता है। सत्कर्मों का अधिकारी होता है। आचमन की विधि यह है कि हाथ-पांव धोकर पवित्र स्थान में आसन के ऊपर पूर्व से उत्तर की ओर मुख करके बैठें।

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मंदिर जाने से क्या होगा?

रोजाना नियमित रूप से मंदिर जाने से मन में शांति स्थापित होती है और किसी भी प्रकार का भय दूर होता है। रोजाना नियमित रूप से मंदिर जाने से सोच सकारात्मक होती है और नकारात्मकता दूर होती है।

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मंदिर कब जाना चाहिए?

इस समय मंदिर या एकांत में शौच, आचमन, प्राणायामादि कर गायत्री छंद से निराकार ईश्वर की प्रार्थना की जाती है। दोपहर 12 से अपराह्न 4 बजे तक मंदिर में जाना, पूजा, आरती और प्रार्थना आदि करना निषेध माना गया है अर्थात प्रात:काल से 11 बजे के पूर्व मंदिर होकर आ जाएं या फिर अपराह्नकाल में 4 बजे के बाद मंदिर जाएं

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मंदिर जाने से क्या फायदा होता है?

मंदिर में जब व्यक्ति जाता है तो वहां जाने पर वह सकारात्मकता का संचार महसूस करता है. मंदिर जानें से व्यक्ति का खुद पर विश्‍वास बढ़ाता है और इसी विश्‍वास के दम पर वह बड़े सपने देखता है और उन्‍हें पूरा करता है. मंदिर जाने से व्‍यक्ति गलत काम करने से बचता हैऔर कई मुसीबतों से अपने आप ही बच जाता है.

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अगर मैं पीरियड्स के दौरान मंदिर जाऊं तो क्या होगा?

मंदिर वह स्थान है जो सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है और जब कोई महिला मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश करती है, तो यह ऊर्जा प्रवाह के बीच असंतुलन पैदा करता है । मंदिर प्राण सूक्ष्म शरीर को प्रभावित करता है। मासिक धर्म के दौरान महिला की ऊर्जा नीचे की ओर चलती है, जबकि हिंदू पूजा स्थल में ऊर्जा ऊपर की ओर चलती है..!!

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मंदिर में कब नहीं जाना चाहिए?

मंदिर में कब नहीं जाना चाहिए? दोपहर 12 से अपराह्न 4 बजे तक मंदिर में जाना, पूजा, आरती और प्रार्थना आदि करना निषेध माना गया है अर्थात प्रात:काल से 11 बजे के पूर्व मंदिर होकर आ जाएं या फिर अपराह्नकाल में 4 बजे के बाद मंदिर जाएं।

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मंदिर में फोटो खींचना मना क्यों होता है?

क्यों मंदिरों में फ़ोटो खींचना मना होता है? इन्हीं फोटो को वे लोग भक्तों को बेचकर पैसे बनाने का काम करते हैं। फोटो खींचने से रोकने के पीछे का सच यही है कि फोटो से पैसा कमाने का काम किया जाता है। इस अवैधानिक काम पर रोक लगनी ही चाहिए और मंदिरों में भक्तों को फोटो खींचने की इजाजत मिलनी चाहिए।

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प्रतिदिन मंदिर जाने से क्या होता है?

रोज मंदिर जाने के क्या हैं फायदेहिंदू मान्यता के अनुसार, रोज सुबह उठकर, स्नान करके, ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर जाने से ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति का मानसिक विकास होता है। एकाग्रता बढ़ने के साथ ही व्यक्ति की याद रखने की क्षमता भी बढ़ती है। नियमित रूप से मंदिर जाने पर व्यक्ति का तनाव भी कम होता है।

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क्या पीरियड्स में मंदिर में जा सकते हैं?

ये हैं धार्मिक कारणहिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पीरियड्स के दौरान महिला द्वारा तुलसी में जल डालने से तुलसी का पौधा सूख जाता है। क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में ऊर्जा का संचार अधिक होता है। इस ऊर्जा को भगवान सहन नहीं कर पाते। इसलिए पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ करना या मंदिर जाना वर्जित है

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माया मंदिर पर चढ़ने की अनुमति क्यों नहीं है?

मासिक धर्म के कितने दिन बाद मंदिर जाना चाहिए?

वैसे यदि हम ज्योतिष की मानें तो आमतौर पर पीरियड समाप्त होने के बाद पांचवें दिन आप मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। शास्त्रों के अनुसार पीरियड समाप्त होने के बाद का पांचवां दिन शुद्धिकरण के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, इसलिए ही इसी दिन पूजा करने और मंदिर जाने की सलाह दी जाती है।

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पीरियड्स में मंदिर जा सकते हैं क्या?

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पीरियड्स के दौरान महिला द्वारा तुलसी में जल डालने से तुलसी का पौधा सूख जाता है। क्योंकि इस समय महिलाओं के शरीर में ऊर्जा का संचार अधिक होता है। इस ऊर्जा को भगवान सहन नहीं कर पाते। इसलिए पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ करना या मंदिर जाना वर्जित है

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क्या पीरियड्स के दौरान लड़की मंदिर जा सकती है?

उन्होंने पाया कि कई हिंदू लोगों का मानना ​​है कि मासिक धर्म वाली महिलाएं इतनी पवित्र होती हैं कि महीने के उस समय में उन्हें 'जीवित देवी' के रूप में 'पूजा' जाता है, और इसलिए मासिक धर्म वाली महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती क्योंकि उनकी ऊर्जा मूर्ति की ऊर्जा को आकर्षित करेगी। , और मूर्ति निर्जीव हो जाएगी।

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गुरुद्वारा में फोटो की अनुमति क्यों नहीं है?

ग्रेवसेंड गुरुद्वारा, नानक दरबार आदि जैसे गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब के पास फोटोग्राफी से बचना पसंद है, जिसका अर्थ है कि इस प्रकार की तस्वीरें सिख समुदाय के कई सदस्यों के लिए अपमानजनक हैं, शादी के फोटोग्राफरों के लिए ऐसी परिस्थितियों से बचना सबसे अच्छा है।

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मंदिर में कौन कौन सी फोटो रखनी चाहिए?

ईशान कोण में मंदिर है तो भगवान कृष्ण की फोटो रख सकते हैं। दक्षिण में मंदिर है तो दुर्गा माँ व हनुमान जी की फोटो रख सकते हैं। इससे आप संकट में पड़ सकते हैं। 6- मंदिर में कभी भी पुरानी हो चुकी फूलमालाएं, अगरबत्त‌ियां, धूप की राख, माचिस की तिलियां इकठ्ठी करके नहीं रखनी चाहिए।

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सुबह मंदिर कितने बजे जाना चाहिए?

माना जाता है कि दिन में पांच बार पूजन करना चाहिए। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 4.30 से 5 बजे के बीच, दूसरी पूजा सुबह 9बजे, तीसरा पूजन, दोपहर 12 बजे तक, चौथा पूजन शाम 4 से 6 के बीच और पांचवा पूजन रात्रि 9 बजे के पहले कर लेना चाहिए।

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मंदिर का क्या नाम है जो दिन में दो बार गायब हो जाता है?

गुजरात के भरूच में स्थित स्तंभेश्वर मंदिर बड़ा ही अनोखा है. ये मंदिर सुबह और शाम में लगभग दो बार पलक झपकते ही गायब हा जाता है. समुद्र तट के किनारे स्थित होने के कारण ज्वार-भाटा के दौरान ये मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है और फिर दोबारा से नजर आने लगता है.

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पूजा करते समय पीरियड आ जाए तो क्या करें?

पीरियड्स के दौरान इस तरह करें पूजाअगर व्रत या पूजा-पाठ के दौरान पीरियड्स आ जाएं तो ऐसे में महिलाओं को अपना व्रत पूरा करना चाहिए। इस दौरान मानसिक रूप से भगवान की आस्था करनी चाहिए।

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क्या हम पीरियड्स के दौरान वैष्णो देवी के दर्शन कर सकते हैं?

क्या मैं पीरियड्स के दौरान वैष्णो देवी जा सकती हूँ? नहीं, आप मासिक धर्म के दौरान वैष्णो देवी की यात्रा नहीं कर सकते । श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड मासिक धर्म से गुजर रही महिलाओं को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से रोकता है। यह एक धार्मिक मान्यता है जो कई हिंदुओं द्वारा धारण की जाती है, जो मानते हैं कि मासिक धर्म अशुद्धता का संकेत है।

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गुरुद्वारा में सिर क्यों ढकते हैं?

क्या है धार्मिक महत्वसाथ ही यह भगवान के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने का एक अच्छा तरीका है। सिर ढकने का एक अन्य कारण यह भी है कि सिर पर कुछ न रहने से बाल पूजा सामग्री पर गिर सकते हैं। इससे पूजा की चीजें अशुद्ध हो जाती हैं।

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